2016 में अमरीका में 9/11 के हमले की जांच रिपोर्ट के कई ऐसे तथ्य सामने आए थे जिसमें कहा गया था कि विमान हाइजैकर्स को उन लोगों से मदद मिली जो शायद सऊदी सरकार के संपर्क में थे. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार इस साल की शुरुआत में सऊदी और यूएई ने यमन में अल क़ायदा को अमरीका में बने हथियार मुहैया कराए हैं.
2014 में पेंटागन की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि ईरान की सैन्य रणनीति में आत्मसुरक्षा केंद्र में है. अमरीका और इसराइल के कई विशेषज्ञों का यह आकलन रहा है कि ईरान अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहता है न कि किसी पर हमला करने की आकांक्षा रखता है.
1953 में अमरीका और ब्रिटेन ने ईरान में लोकतांत्रिक तरीक़े से चुने गए प्रधानमंत्री मोहम्मद मोसादेग को अपदस्थ कर पहलवी को सत्ता सौंप दी थी. मोहम्मद मोसादेग ने ही ईरान के तेल उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया था और वो चाहते थे कि शाह की शक्ति कम हो.
किसी विदेशी नेता को शांतिपूर्ण वक़्त में अपदस्थ करने का काम अमरीका ने पहली बार ईरान में किया. लेकिन यह आख़िरी नहीं था. इसके बाद अमरीका की विदेश नीति का यह एक तरह से हिस्सा बन गया.
1953 में ईरान में अमरीका ने जिस तरह से तख्तापलट किया उसी का नतीजा 1979 की ईरानी क्रांति थी. इन 40 सालों में ईरान और पश्चिम के बीच कड़वाहट ख़त्म नहीं हुई.
बीएल राणा बताते हैं कि पिछले साल तक तो केदारनाथ घाटी में इस तरह की एक ही गुफा थी लेकिन इस साल एक और गुफ़ा का निर्माण पूरा हो गया है. आने वाले समय में ऐसी ही कुछ और गुफाओं के निर्माण की योजना है.
वो बताते हैं कि ये गुफाएं केदारनाथ डेवलपमेंट वर्क्स के तहत बनाई गई हैं. वाई-फ़ाई की सुविधा पर राणा कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ गुफा में ही वाई-फ़ाई की सुविधा है, वाई-फ़ाई की सुविधा पूरे केदारपुरी में है और गुफा उसकी रेंज में है या नहीं ये बता पाना मुश्किल है.
अब अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप कह रहे हैं कि अगर ईरान युद्ध में गया तो उसका अस्तित्व मिट जाएगा. लेकिन अमरीका को भी युद्ध के ख़तरों का अंदाज़ा है क्योंकि 2003 में वो इराक़ में सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटाने के लिए ऐसा कर चुका है.
इस्लामिक क्रांति के 40 सालों बाद ईरान ने कई संकट देखे हैं लेकिन इस बार का ख़तरा काफ़ी गंभीर है. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि ईरान अगर झुकता है तब भी हारेगा और लड़ता है तब भी जीत नहीं मिलेगी.
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लोकसभा चुनाव ख़त्म हो चुके हैं और अब इंतज़ार सिर्फ़ नतीजों का है.
हालांकि इस दौरान एग्ज़िट पोल के क़यास को जहां बीजेपी दावों की हक़ीकत बता रही है
वहीं विपक्ष का कहना है कि एग्ज़िट पोल सिर्फ़ क़यास मात्र ही हैं. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतिम चरण का चुनाव प्रचार ख़त्म होने के बाद केदारनाथ पहुंचे थे. मौक़ा बुद्ध पूर्णिमा का था. जिसके बाद उनकी कई तस्वीरें वायरल हो गईं.
तस्वीर के वायरल होने की कई वजहें रहीं. एक ओर जहां विपक्ष ने कहा कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है वहीं प्रधानमंत्री ने 17 घंटे बाद गुफ़ा से बाहर निकलते ही चुनाव आयोग को धन्यवाद कहा कि आयोग ने उन्हें एकांत में ध्यान लगाने का वक़्त दिया.
गढ़वाल मंडल विकास निगम के महाप्रबंधक बीएल राणा का कहना है कि इस बात में कोई शक़ ही नहीं है कि प्रधानमंत्री के यहां आने से यह जगह चर्चा में आ गई है और लोग इसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानना चाह रहे हैं.
गुफा की बढ़ी लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि गढ़वाल मण्डल विकास निगम ने इस गुफा की बुकिंग को फिलहाल के लिए रोक दिया है. उम्मीद जताई जा रही है कि जून के पहले महीने से एक बार फिर बुकिंग शुरू हो जाएगी.
लेकिन क्या ये वाकई एक गुफ़ा ही है या कुछ और...
गढ़वाल मण्डल विकास निगम की वेबसाइट पर इस गुफ़ा से जुड़ी जानकारियां मौजूद है. गुफा में रुकने के नियम और शर्तें पढ़कर लगता है कि हम किसी होटल के नियम-शर्त पढ़ रहे हैं.
यहां तक की वेबसाइट पर ख़ुद भी इसके लिए कई जगह होटल शब्द का इस्तेमाल किया है.
इस गुफा का नाम रूद्र ध्यान गुफा है.
- इसके भीतर बिजली और पीने के पानी की व्यवस्था है.
- सुबह की चाय, सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना, शाम की चाय और रात का खाना उपलब्ध कराया जाता है. हालांकि ये सारी चीज़ें एक नियत समय पर ही उपलब्ध कराई जाती हैं लेकिन आग्रह करके समय बदलवाया जा सकता है.
- यह गुफा पूरी तरह से एकांत में रहने के लिए बनाई गई है लेकिन आपातकाल की स्थिति में गढ़वाल मण्डल विकास निगम के मैनेजर से संपर्क किया जा सकता है.
- इस गुफा में एक घंटी भी लगी हुई है. जो गुफा के पास मौजूद अटेंडेंट को बुलाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.
- कोई भी शख़्स इस गुफा को कम से कम तीन दिन के लिए बुक करा सकता है
- जो शख़्स बुकिंग करा रहा है उसे बुकिंग की तारीख़ से दो दिन पहले गढ़वाल मण्डल विकास निगम गुप्तकाशी में रिपोर्ट करना ज़रूरी है. पहले गुप्तकाशी में और उसके बाद केदारनाथ में बुकिंग कराने वाले शख़्स की मेडिकल जांच की जाएगी और अगर उसे मेडिकली और फ़िजिकली फ़िट पाया गया तभी उसे गुफ़ा में ठहरने की अनुमति दी जाएगी.
- एक बार में एक ही शख़्स इस गुफा में रुक सकता है
- एकबार अगर आपने बुकिंग कर ली तो बुकिंग कैंसिल कराने के बाद आपको रिफंड नहीं मिलेगा. चाहे वजह कुछ भी हो.
- सिर्फ़ और सिर्फ़ गढ़वाल मण्डल विकास निगम की वेबसाइट से ही यहां के लिए बुकिंग हो सकती है.
- नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट या सेल्फ़ डिक्लेयरेशन फॉर्म भरना ज़रूरी है.
क्या है क़ीमत
बीएल राणा बताते हैं कि अभी तो इसकी क़ीमत 990 रुपये ही रखी गई है लेकिन आने वाले वक़्त में ये क़ीमत बदल भी सकती है और यह पूरी तरह लोगों के रिस्पॉन्स पर निर्भर करेगी.
हालांकि शुरुआत में इसकी क़ीमत 3000 रुपये रखी गई थी लेकिन बहुत अधिक लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं थी इसलिए इसकी क़ीमत घटा दी गई.
राणा उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में लोगों की रुचि इस ओर बढ़ेगी.
गढ़वाल मण्डल विकास निगम के अंतर्गत आने वाली यह गुफा केदारनाथ धाम पहाड़ियों से क़रीब एक किलोमीटर ऊपर है. (केदारनाथ मंदिर समुद्रतल से क़रीब 11,500 फ़ीट की ऊंचाई पर है).
इस गुफा का मुंह केदारनाथ मंदिर की ओर खुलता है. इस प्राकृतिक गुफा के बाहरी हिस्से को स्थानीय पत्थरों से तैयार किया गया है और गुफा के मुख्य द्वार पर सुरक्षा के लिए लकड़ी का दरवाज़ा लगा हुआ है.